Saare jahan se achcha Hindostan hamara
hum bulbule hain iski ye gulsitaN hamara
Gurbat mein ho agar ham, rehta hai dil watan mein
Samjho wahin hain ham bhee, dil ho jahan hamara
Parbat wo sabse uNcha, ham saya aasmaN ka
wah santari hamara, wo pasbaN hamara
Godi mein khelti hain iski hazroN nadiya
gulshan hai jinke dam se rashk-e-janaN hamara
Aye aabroo-e-ganga! woh din hain yaad tujhko
utra tere kinare jab kaarwaN hamara
Mehzab nahi sikata aapas mein bair rakhna
Hindi hain hum, watan hai HindostaN hamara
Unan-o-Misr-o-Ruma sab mit gaye jahan se
Ab tak magar hai baaqi naam-o-nishaN hamara
Kuch baat hai ki hasti mit ti-nahi hamari
SadiyoN raha hai dushman daur-e-zamaN hamara
Iqbal! koi marham apna nahi jahaN mein
Mahoom kya kisi ko dard-e-nihaN hamara
सारे जहाँ से
अच्छा हिन्दोसिताँ हमारा
हम बुलबुलें हैं इसकी
यह गुलसिताँ हमारा
ग़ुरबत में हों
अगर हम, रहता
है दिल वतन
में
समझो वहीं हमें
भी दिल हो
जहाँ हमारा
परबत वह सबसे
ऊँचा, हम-साया
आसमाँ का
वह संतरी हमारा, वह
पासबाँ हमारा
गोदी में खेलती
हैं इसकी हज़ारों
नदियाँ
गुलशन है जिनके
दम से रश्क-ए-जनाँ
हमारा
ऐ आब-ए-रूद-ए-गंगा! वह दिन
हैं याद तुझको
उतरा तेरे किनारे
जब कारवाँ हमारा
मज़्हब नहीं सिखाता
आपस में बैर
रखना
हिन्दी हैं हम,
वतन है हिन्दोसिताँ
हमारा
यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रूमा
सब मिट गए
जहाँ से
अब तक मगर
है बाक़ी नाम-ओ-निशाँ
हमारा
कुछ बात है
कि हस्ती मिटती
नहीं हमारी
सदियों रहा है
दुश्मन दौर-ए-ज़माँ हमारा
इक़्बाल! कोई महरम
अपना नहीं जहाँ
में
मालूम क्या किसी
को दर्द-ए-निहाँ हमारा
~Written By "ALLAMA IQBAL"